Sugar Cooperative Strategy , Ajit Pawar की राजनीति में चीनी मिलों (Sugar Cooperatives) की भूमिका को समझें। जानिए कैसे महाराष्ट्र की राजनीति में शुगर लॉबी एक शक्तिशाली हथियार बनी हुई है।
महाराष्ट्र की राजनीति में अगर कोई एक चीज़ लगातार असर डाल रही है, तो वो है चीनी मिलों की कोऑपरेटिव व्यवस्था (Sugar Cooperatives)।
और इस पूरी व्यवस्था के केंद्र में अगर कोई नेता दशकों से नजर आता है, तो वो हैं – Ajit Pawar।
🏢 Sugar Cooperative Strategy , Sugar Cooperatives क्या हैं?
Sugar Cooperatives यानी ‘सहकारी चीनी मिलें’ — ये वो संस्थाएं हैं जहाँ किसान सदस्य होते हैं और मिलों को गन्ना सप्लाई करते हैं।
महाराष्ट्र में करीब 200 से ज़्यादा चीनी मिलें हैं, जिनमें ज़्यादातर पश्चिम महाराष्ट्र (Western Maharashtra) में हैं – और यह क्षेत्र Pawar परिवार का गढ़ माना जाता है।
🏛️ Ajit Pawar की रणनीति क्या है?
1. Cooperatives के जरिए Rural Power Base तैयार करना:
Ajit Pawar ने शुरू से ही किसानों को चीनी मिलों से जोड़ कर उन्हें राजनीतिक रूप से अपने पक्ष में किया। Cooperative सिस्टम के जरिए:
- लोगों को रोज़गार मिला
- किसानों को बोनस, लोन वगैरह की सुविधा दी गई
- और बदले में मिला उन्हें political loyalty
2. Banking और Politics का मेल:
Sugar Mills का सीधा लिंक होता है:
- District Central Cooperative Banks (DCCBs) से
- जहाँ से किसानों को loan दिया जाता है
- और इन बैंकों पर भी NCP के नेताओं का कंट्रोल रहता है
इस सिस्टम को बोलते हैं – “Cooperative Political Ecosystem“
3. Leadership Pipeline तैयार करना:
हर चीनी मिल का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और डायरेक्टर्स बाद में जिला परिषद, पंचायत समिति और MLA बनने की सीढ़ी चढ़ते हैं।
Ajit Pawar ने यही सिस्टम बनाकर grassroot से ऊपर तक अपने लोग खड़े किए हैं।
शरद पवार बनाम अजित पवार – Cooperative War?
2023-24 में जब अजित पवार ने अलग गुट बना लिया, तब उनके साथ अधिकतर चीनी मिल संचालक और अध्यक्ष चले गए।
इससे ये साबित हो गया कि:
“Power अब सिर्फ पार्टी सिंबल में नहीं, बल्कि कोऑपरेटिव स्ट्रक्चर में छिपा है।”
📉 Challenges भी हैं:
- गन्ना उत्पादन घटा है
- किसानों का चीनी मिलों पर बकाया बढ़ा है
- Climate Change और पानी की कमी से Sugar Mills पर असर पड़ा है
लेकिन फिर भी, Pawar family का hold आज भी बना हुआ है।
🗳️ Political Strategy 2025 के लिए:
अजित पवार इस पूरे Cooperative नेटवर्क के जरिए 2025 चुनाव में:
- Assembly और Lok Sabha सीटों पर सीधा असर डाल सकते हैं
- अपने समर्थकों को टिकट और आर्थिक मदद दे सकते हैं
- BJP के साथ गठबंधन करते हुए, अपना Rural Base intact रख सकते हैं
📌 निष्कर्ष (Conclusion):
Ajit Pawar की Sugar Cooperative Strategy, सिर्फ एक आर्थिक मॉडल नहीं बल्कि एक गहरी राजनीतिक चाल है।
जहाँ किसान, उद्योग, बैंकिंग और राजनीति — सब एक ही System का हिस्सा बन जाते हैं।
और यही वजह है कि चाहे पार्टी बदले, गठबंधन बदले — लेकिन अजित पवार की पकड़ कमजोर नहीं होती।